आरटीओ कार्यालय ने तीन महीने तक आरटीआई का पोर्टल ही नहीं खोला।
॰ एआरटीओ ने पोर्टल खुलवाया तो आरटीआई के 45 केस विचाराधीन मिले
॰ कई बाबुओं को फटकार, निलंबित करने की चेतावनी, दो दिन का समय
कार्यालय संवाददाता, कानपुर
अमृत विचार। जनसूचना अधिकारी 2005 एक्ट के तहत मांगी जाने वाली सूचनाओं को पोर्टल को संभागीय परिवहन कार्यालय में खोला ही नहीं गया। तीन महीने बाद एआरटीओ प्रशासन आलोक कुमार ने जब इसको खुलवाया तो दंग रह गए क्योंकि 45 केस विचाराधीन दिखाई दिए। एआरटीओ ने बाबुओं को फटकारते हुए निलंबन तक की चेतावनी दी और दो दिन के अंदर सारे केस का निस्तारण करने का आदेश जारी किया।
बीते दिनों संभागीय परिवहन कार्यालय में आरटीओ, एआरटीओ प्रशासन से लेकर कई अधिकारियों के ट्रांसफर हो गए। कानपुर में एआरटीओ प्रशासन के पद पर एआरटीओ राजेश राजपूत के स्थान पर अब आलोक कुमार ने चार्ज संभाला है। सोमवार को एआरटीओ ने जब जनसूचना अधिनियम 2005 का पोर्टल चेक कराया तो दंग रह गए, उसे कई माह से खोला ही नहीं गया, पासवर्ड को लेकर काफी समय तक एक बाबू दूसरे बाबू को जिम्मेदार ठहराते रहे। गुस्साये एआरटीओ प्रशासन ने तीन बाबुओं को फटकार लगाई और दो दिनों के अंदर सभी मामलों का निपटारा करने का आदेश जारी किया।
क्या बोले अधिकारी…..
जन सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के पोर्टल पर 45 केस विचाराधीन हैं, लगता है काफी समय से ये पार्टल खुला नहीं है, बाबुओं को दो दिन का समय दिया गया है, सभी मामलों का निस्तारण किया जाएगा।
आलोक कुमार, सहायक संभागीय अधिकारी प्रशासन।
ब्यूरो कानपुर
असरफ जमाल की रिपोर्ट