मानवता की मिसाल: जब खाकी बनी बुजुर्ग का सहारा
डिस्ट्रिक हेड। राहुल द्विवेदी।
कानपुर, उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश पुलिस की छवि को एक नई ऊँचाई देते हुए कानपुर ट्रैफिक पुलिस के एक जांबाज और संवेदनशील अधिकारी ने मिसाल पेश की है। कल्याणपुर निवासी गुमशुदा बुजुर्ग अशोक कुमार के लिए रानी घाट क्षेत्र में तैनात दरोगा मुकेश नागर किसी ‘देवदूत’ से कम साबित नहीं हुए। यह घटना हमें याद दिलाती है कि पुलिस केवल नियमों का पालन कराने के लिए नहीं, बल्कि संकट में फंसे नागरिकों की ढाल बनने के लिए भी है।
घटना का विवरण
जानकारी के अनुसार, बुजुर्ग अशोक कुमार अपने घर का रास्ता भटक गए थे और काफी समय से रानी घाट के आसपास बदहवास स्थिति में घूम रहे थे। ट्रैफिक व्यवस्था संभालने के दौरान दरोगा मुकेश नागर की नजर उन पर पड़ी। उन्होंने देखा कि बुजुर्ग काफी परेशान और थके हुए दिख रहे हैं। उन्होंने बिना समय गंवाए बुजुर्ग से संपर्क किया और उनसे बड़े ही आत्मीय भाव से बातचीत की।
सतर्कता और संवेदनशीलता
दरोगा मुकेश नागर ने न केवल उन्हें सांत्वना दी, बल्कि अपनी सूझबूझ से उनके घर का पता लगाने की कोशिश की। बातचीत के दौरान मिले संकेतों और अपनी व्यावसायिक सतर्कता का उपयोग करते हुए उन्होंने जल्द ही बुजुर्ग के परिजनों की पहचान सुनिश्चित कर ली। उन्होंने तुरंत परिवार से संपर्क किया और इस बात की सूचना दी कि अशोक कुमार सुरक्षित हैं।
कर्तव्य से ऊपर उठकर कार्य
अशोक कुमार को सकुशल उनके परिजनों को सौंपते हुए दरोगा मुकेश नागर के चेहरे पर जो संतोष था, वह उनकी कर्तव्यनिष्ठा की गवाही दे रहा था। पीड़ित परिवार, जो अपने बुजुर्ग के लापता होने से गहरे सदमे और तनाव में था, पुलिस की इस संवेदनशीलता को देखकर भावुक हो उठा। उन्होंने खुले दिल से दरोगा नागर की सराहना की और उत्तर प्रदेश पुलिस को धन्यवाद दिया।
निष्कर्ष
यह घटना केवल एक ड्यूटी का हिस्सा नहीं थी, बल्कि यह ‘सेवा, सुरक्षा और सहयोग’ के उस नारे को चरितार्थ करती है जो पुलिस विभाग का मूल मंत्र है। दरोगा मुकेश नागर ने यह दिखा दिया कि अगर पुलिसकर्मी संवेदनशील हों, तो वे समाज में बदलाव के सबसे बड़े वाहक बन सकते हैं। कानपुर ट्रैफिक पुलिस का यह मानवीय चेहरा आज हर तरफ प्रशंसा बटोर रहा है।




