कानपुर: फर्जी दस्तावेजों के सहारे वकालत करने वाला आशीष शुक्ला नैनीताल से गिरफ्तार
डिस्ट्रिक हेड। राहुल द्विवेदी।
कानपुर में फर्जी शैक्षणिक दस्तावेजों के आधार पर एलएलबी (LLB) में दाखिला लेने और वर्षों तक वकालत करने के आरोपी आशीष शुक्ला के भागने का सफर आखिरकार खत्म हो गया है। उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने एक सटीक ऑपरेशन के तहत उसे उत्तराखंड के नैनीताल से गिरफ्तार कर लिया है। वह पिछले 26 दिनों से पुलिस को चकमा दे रहा था।
मामले की पृष्ठभूमि और धोखाधड़ी का खुलासा
यह मामला कानूनी गलियारों में तब चर्चा में आया जब बार एसोसिएशन के पूर्व मंत्री अरिदमन सिंह ने कानपुर के कोतवाली थाने में आशीष शुक्ला के खिलाफ धोखाधड़ी की रिपोर्ट दर्ज कराई। आरोप था कि आशीष ने कानून की पढ़ाई के लिए जो दस्तावेज जमा किए थे, वे फर्जी थे। इन जाली दस्तावेजों के दम पर उसने न केवल डिग्री हासिल की, बल्कि बार काउंसिल में पंजीकरण कराकर वकालत भी शुरू कर दी। यह सीधे तौर पर न्यायपालिका की शुचिता और गरिमा के साथ खिलवाड़ का मामला था।
जमानत का रद्द होना और फरारी
शुरुआती जांच के बाद, आशीष शुक्ला ने गिरफ्तारी से बचने के लिए कोर्ट की शरण ली थी। उसे अदालत से अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail) मिल गई थी। हालांकि, कोर्ट ने जमानत देते समय कुछ सख्त शर्तें रखी थीं। आशीष ने इन शर्तों का पालन नहीं किया और जांच में सहयोग नहीं दिया। नतीजतन, 18 नवंबर को कोर्ट ने उसकी अग्रिम जमानत निरस्त कर दी। जमानत रद्द होते ही वह शहर छोड़कर फरार हो गया।
STF और सर्विलांस का संयुक्त ऑपरेशन
आशीष शुक्ला की गिरफ्तारी कानपुर पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई थी। कानपुर कोतवाली पुलिस, सर्विलांस सेल और STF की कई टीमें लगातार दबिश दे रही थीं। पुलिस ने उसके संभावित ठिकानों पर छापेमारी की और उसके करीबियों पर नजर रखी। अंततः, सर्विलांस टीम को आशीष के नैनीताल में छिपे होने के पुख्ता इनपुट मिले। इस सूचना के आधार पर STF की यूनिट ने नैनीताल में घेराबंदी की और उसे धर दबोचा।
कानूनी परिणाम और संदेश
आशीष शुक्ला की गिरफ्तारी उन लोगों के लिए एक कड़ा संदेश है जो फर्जीवाड़े के जरिए प्रतिष्ठित पेशों में घुसपैठ करते हैं। बार एसोसिएशन और कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के मामलों से वकालत जैसे गरिमामय पेशे की छवि धूमिल होती है। अब आरोपी को कानपुर लाकर न्यायालय में पेश किया जाएगा, जहाँ पुलिस उसकी कस्टडी रिमांड की मांग कर सकती है ताकि यह पता लगाया जा सके कि फर्जी दस्तावेज बनवाने में और कौन-कौन शामिल था।
निष्कर्ष
STF की यह सफलता न केवल एक अपराधी को पकड़ने तक सीमित है, बल्कि यह विभाग की कार्यकुशलता को भी दर्शाती है। आरोपी को जल्द ही कानपुर के संबंधित मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जाएगा, जिसके बाद उसे जेल भेजा जाएगा।




