*जयपुर: जोधपुर आरजीएचएस घोटाला बिना खरीदे ही कागजों में बेच दी थी 77 लाख रुपए की कैंसर दवाएं*
जोधपुर आरजीएचएस कार्ड से कैंसर दवाइयों के घोटाले के मामले में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। जालोरी गेट के भीतर दवाइयों के दुकानदार ने 77 लाख रुपए से अधिक की दवाइयों को कागजों में ही बेच दिया था। यह ऐसी दवाइयां थी, जो उसने खरीदी ही नहीं थी। इतना ही नहीं, आरोपी ने उन बैच की दवाइयां बेचना दर्शाया जो फार्मा कम्पनी ने दुकानदार को सप्लाई तक नहीं की थी। एफआइआर दर्ज होने के बाद आरजीएचएस के संयुक्त निदेशक ने 66 संदिग्ध दवाइयों की सूची सौंपी थी। आरोपी फार्मासिस्ट जुगल झंवर ने इन दवाओं के संबंध में वित्तीय वर्ष 2021-22, 2022,-23 व 2023-24 में खरीद के बिल पेश किए थे। बिलों के सत्यापन में लाखों का घोटाला सामने आया था।
दवा दुकान व 44 कार्ड धारकों पर दर्ज कराई थी एफआइआर
27 सितम्बर 2023 को आरजीएचएस के संयुक्त परियोजना निदेशक अभिषेक ङ्क्षसह किलक ने जालोरी गेट के भीतर झंवर मेडिकल एजेंसीज के संचालक, मध्यस्थ उमेश परिहार और 44 कार्ड धारक व लाभार्थियों के खिलाफ धोखाधड़ी व गबन का मामला दर्ज कराया था। दुकानदार जुगल झंवर सहित सात आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। जो जेल में है। पुलिस व साइबर थाने के बाद अब एसओजी जांच कर रही है।
*जांच में सामने आया सच:*
-आरोपी फर्मासिस्ट ने मुम्बई की एक फर्म से 8,86,706 रुपए की दवाइयां खरीदना बताया था। जो 18,81,150 रुपए में कागजों में बेच दी। कम्पनी ने लिखित में पत्र भेजकर फार्मासिस्ट को दवाइयां बेचने से इनकार किया।
-फार्मासिस्ट ने जयपुर की फार्मा कम्पनी से 10,39,810 रुपए की दवाइयां खरीदी थी। कागजों में 20,79,620 रुपए की दवाइयां खरीदी। आरजीएचएस के बिलों से 15,85,783 रुपए की दवाइयां बेच दी।
-फार्मासिस्ट ने मुम्बई की फार्मा कम्पनी से जितनी दवाइयां खरीदी उससे कहीं गुणा अधिक स्टॉक में खरीदना दिखाया था। आरोपी फार्मास्टि ने बगैर खरीद किए 28.35 लाख रुपए की दवाइयों का फर्जी बेचान कर दिया था।
-एक अन्य दवाई जयपुर की फार्मा कम्पनी से खरीदी थी, लेकिन स्टॉक में कई गुणा अधिक दवाइयां दर्शाई गई। इसमें उस बैच की दवाई भी 2.24 लाख रुपए में बेचना दिखाया जो दुकानदार को सप्लाई तक नहीं की गई थी।
-कुल 3.92 लाख रुपए की दवाइयों का फर्जी बेचान किया गया।
-जयपुर की फार्मा कम्पनी से दवाओं के खरीद में गड़बड़ी की गई। 13.91 लाख रुपए की दवाइयां खरीदी थी। दुकानदार ने 14.70 लाख रुपए की दवाएं खरीदी ही नहीं थी।
-एक अन्य मेडिसिन की 2.45 लाख रुपए की फर्जी सेल रिटर्न दिखाई गई।
-आरजीएचएस योजना के तहत पाली के एक डॉक्टर को 2.90 लाख रुपए की दवाइयां 53,637 रुपए में बेचान करने की जानकारी दी गई थी, लेकिन डॉक्टर ने दवाइयां खरीदने से इनकार किया। किसी अन्य या गुमनाम को बेचान कर डॉक्टर के नाम से बिल जारी किए गए थे।
-डॉ. विनय व्यास को 4.16 लाख रुपए की दवाइयां 54,874 रुपए में बेचना बताया था, लेकिन डॉक्टर ने दवाइयां खरीदने से इनकार किया। डॉक्टर के नाम से जारी बिल फर्जी प्रमाणित पाए गए।
ब्यूरो
असरफ जमाल की रिपोर्ट